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Input and Output device किसे कहते है | ये कितने प्रकार के होते हैं।

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कम्प्यूटर के विषय में आपने कहीं न कहीं सुना होगा । आज का युग कम्प्यूटर का युग है, आपको हर जगह कम्प्यूटर दिखाई देगा । दुकाने, शोरुम, माँल, अस्पताल आदि इन सभी जगहों पर कम्प्यूटर का उपयोग महत्वपूर्ण है । सभी कार्य आँनलाइन हो जाने के कारण आज एक योग्य आँपरेटर का डिमांड बढ़ गयी है। कम्प्यूटर के आ जाने से कार्यों में गति और समय की बचत होती है।


Input and Output device भी कम्प्यूटर का हीं भाग है, जिसकी सहायता से कार्य काफी सरल हो जाते हैंं। कम्प्यूटर के Input and Output device के बारे में जानना भी जरुरी है ताकि हम कार्यों में तोजी ला सकें।



आज के इस आर्टिकल में हम कंप्यूटर के महत्वपूर्ण इनपुट युक्तियां एवं आउटपुट युक्तियों के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं। इनमें से कई डिवाइस सॉन्ग डिवाइसों के बारे में एग्जाम में पूछा गया है। उसी को ध्यान में रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण इनपुट और आउटपुट डिवाइस ओं के बारे में देखने वाले हैं।


Input and Output device किसे कहते है | ये कितने प्रकार के होते हैं।



इनपुट युक्तियां(Input Devices)


ऐसी युक्तियां जिनका प्रयोग यूजर के द्वारा कंप्यूटर को डाटा और निर्देशों को प्रदान करने के लिए किया जाता है इनपुट युक्तियां कहलाती है। 


इनपुट युक्तियां उपयोगकर्ता से इनपुट लेने के बाद इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर सीपीयू के पास भेज देती है। 


कुछ महत्वपूर्ण इनपुट युक्तियां निम्न प्रकार के हैं-


1. कीबोर्ड (Keyboard)


कीबोर्ड कंप्यूटर का सबसे प्रमुख इनपुट युक्ति है जो टाइपराइटर के सामान दिखाई देती है। इसमें टाइपराइटर की तरह ही बहुत से बटन या Keys होती है।


 इन Keys को दबाकर कोई भी पाठ्य जैसे शब्द संख्याएं चीन आदि टाइप किए जा सकते हैं। इसका प्रयोग कंप्यूटर में डाटा एवं निर्देशों को कंप्यूटर की मेमोरी तक पहुंचाने में किया जाता है।


कीबोर्ड की विशेषताएं (Features of Keyboard)


  • कीबोर्ड के द्वारा डाटा को कंप्यूटर में सही तरीके से भेजा जा सकता है। 
  • इसमें विभिन्न प्रकार के तरीकों से डाटा भेजा जा सकता है।


2. माउस (Mouse)

माउस हाथ में पकड़ कर चलाई जाने वाली एक इनपुट डिवाइस है। यह एक केबल द्वारा सीपीयू से जुड़ा रहता है। इसका उपयोग मॉनिटर के पर्दे पर कर्सर को  कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। 


माउस एक छोटी डिब्बी के आकार का होता है। इसको हाथ से पकड़ कर एक समतल पेड़ पर सरकाया जाता है, जिसे माउस पैड कहते हैं।


 माउस के ऊपर दो बटन भी होते हैं, जिन्हें बाया और दाया बटन कहा जाता है। हम इन बटनों को दबाकर कंप्यूटर को इनपुट देते हैं।


 मॉनिटर के परदे पर एक ऊपर उठे हुए तिरछे तीर जैसा चीन होता है, जिसे माउस प्वाइंटर कहा जाता है। यह पॉइंट माउस की हलचल के अनुसार ही हलचल करता है, जब माउस को उसको पैड पर सरकाया जाता है, तब माउस प्वाइंटर भी स्क्रीन पर उसी दिशा में सरकता है।


माउस की विशेषताएं (Features of Mouse)


  • माउस के द्वारा ऑब्जेक्ट और ऑप्शंस को आसानी से सिलेक्ट किया जा सकता है।
  •  इसका अप्वाइंटिंग नियुक्ति के लिए अधिकतम प्रयोग किया जाता है।



माउस के प्रकार ( Type of Mouse)

 माउस के प्रकार निम्न है-


1. मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

मैकेनिकल माउस में नीचे की ओर एक बॉल होती है। जिसमें कर्सर या प्वाइंटर का घुमाव बॉल के घुमा के आधार पर होता है।


2. ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse)

ऑप्टिकल माउस में बॉल के स्थान पर एलईडी(LED) का प्रयोग किया जाता है। इसमें कर्सर का घुमाओ डायोड या फोटो डायोड से निकलने वाली लाइट के घुमाव के आधार पर होता है।


3. लेजर माउस (Laser Mouse)

लेजर माउस में Normal एलइडी के स्थान पर इंफ्रारेड (Infrared) लेजर डायोड का प्रयोग किया जाता है।



3. जॉयस्टिक (Joystick)

जॉयस्टिक एक गोलाकार गेंद के ऊपर लगी हुई एक छड़ी या  मूठ होती है, जिससे उस गेंद को उसके सॉकेट के अंदर घुमाया जाता है। 


जॉयस्टिक की सहायता से हम स्क्रीन पर चलती हुई किसी वस्तु की दिशा बदल सकते हैं तथा उसे आगे - पीछे या ऊपर - नीचे ले जा सकते हैं। जॉयस्टिक में एक बटन लगा होता है, जिसे पुश बटन या फायर बटन कहा जाता है। 


जॉयस्टिक का प्रयोग  कंप्यूटर पर वीडियो गेम खेलने के लिए किया जाता है और फायर बटन को दबाकर आदेश दिया जाता है।


जॉयस्टिक की विशेषताएं (Features of Joystick)


  • जॉयस्टिक को हम एक हाथ से पकड़कर वीडियो गेम आसानी से खेल सकते हैं।
  •  इसके द्वारा ट्रक, क्रेन, जेसीबी मशीनों को कंट्रोल किया जाता है।


4. लाइट पेन (Light Pen)


लाइट पेन भी जॉयस्टिक और माउस की तरह ही एक पॉइंटर डिवाइस होती है, जो एक साथ साधारण बालपेन की तरह दिखाई देता है। इसके एक सिरे पर पतली पिन या सुई लगी होती है और दूसरे सिरे से तार निकलकर कंप्यूटर से जुड़ा होता है। 


इसको साधारण पेन की तरह हाथ से पकड़ कर या तो किसी विशेष सतह पर या मॉनिटर की स्क्रीन पर किसी बिंदु पर रखा जाता है। इसकी सुई में से निकली प्रकाश की बौछार से स्क्रीन पर बिंदु बन जाते हैं। 


हम जो कुछ भी इस पेन से लिखते हैं या चित्र बनाते हैं, वह उसी रूप में कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई पड़ता है। यह चित्रकारों तथा डिजाइनरों के लिए बहुत उपयोगी डिवाइस है। 


इसे चुंबकीय छड़ी भी कहा जाता है। इसका प्रयोग computer-aided डिजाइनिंग जैसे कार्यों में किया जाता है।

 

लाइट पेन की विशेषताएं (Features of Light Pen)


  • इसका प्रयोग करना अत्यंत आसान होता है ।
  • इसका स्क्रीन पर सीधे प्रयोग किया जा सकता है।



5. ट्रैकबॉल Trackball)

ट्रक वालों को रोलर बाल भी कहा जाता है। यह भी माउस की तरह एक प्वाइंटर डिवाइस होती है इसमें एक ग्रैंड होती है जिसे अंगुलियों द्वारा घुमाया जाता है।


 जिस दिशा में यह अगेन घूमती है उसी दिशा में स्क्रीन पर इसका प्वाइंटर घूमता है। इसमें भी माउस की तरह दाएं और बाएं दो बटन लगे होते हैं।


 ट्रैकबॉल प्रायः लैपटॉप कंप्यूटर के कीबोर्ड में लगी होती है या अलग से भी उपलब्ध होती है। 


ट्रैकबॉल की विशेषताएं (Features of Trackball)


  •  ट्रैकबॉल का प्रयोग CAD  वर्कस्टेशनों (Computer Aided Design Workstation ) में किया जाता है।
  • ट्रैकबॉल का प्रयोग CAM वर्कस्टेशनों (Computer Aided Manufacturing Workstation ) में किया जाता है।



6. ऑप्टिकल मार्क  रिकॉग्निशन ( OMR - Optical Mark Recognition)


यह एक ऐसा इनपुट साधन है ,जिस के उपयोग से किसी कागज पर बनाए गए चिन्हों को पहचाना जाता है। 


उदाहरण के लिए वस्तुनिष्ठ प्रकार की प्रति योगात्मक परीक्षा में उत्तरों को मोटे कागज के एक उत्तर पत्रक पर काले वृत्त या दीर्घ वृत्त बनाकर चिन्हित किया जाता है। 


ऑप्टिकल मार्क रीडर ऐसे उत्तर पत्रों को पढ़कर या पहचान लेता है कि किस प्रश्न का क्या उत्तर दिया गया है। इसकी सहायता से हजारों उत्तर पत्रों की जांच मिनटों में सही-सही की जा सकती है और परीक्षा का परिणाम तत्काल घोषित किया जा सकता है। 



ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन की विशेषताएं 

(Feature of OMR - Optical Mark Recognition)


  • OMR सिस्टम 100%  एक्यूरेट होते हैं ।
  • यह अक्षरों को पढ़ने का बहुत तेज माध्यम है|
  • इसके पढ़ने की क्षमता मशीन की दक्षता पर निर्भर करती है।



7. ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर ( OCR - Optical Character Reader)


यह ऑप्टिकल मार्क रीडर का सुधरा हुआ रूप है। यह केवल साधारण चिन्हों को ही नहीं बल्कि छापे गए या हाथ से साफ-साफ लिखे गए अक्षरों को भी पढ़ लेता है। इस तकनीक को ऑप्टिकल कैरक्टर रिकॉग्निशन कहा जाता है।


OCR की सामान्य स्पीड 1500 से 3000 कैरेक्टर प्रति सेकंड होती है। यह तकनीक अत्यधिक सटीक रिकॉग्निशन के लिए विकसित की जा रही है, जिससे इंटेलीजेंट कैरक्टर रिकॉग्निशन (ICR) कहते हैं। 


ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर की विशेषताएं 


  • OCR एक प्रिंटेड फोर्स हैंडरिटन फॉर्म डॉक्यूमेंट को टाइप करने में कम समय लेता है। 
  • इसके द्वारा बदले हुए फॉर्मेट को वर्ल्ड प्रोसेसर में एडिट भी किया जा सकता है।
  •  इसके उपयोग से पुराने दस्तावेज को भी आसानी से पढ़ा जा सकता है।



8.MICR - Magnetic Ink Character Recognition


यह ऑप्टिकल कैरक्टर रिकॉग्निशन तकनीक का ही दूसरा रूप है, जिसमें किसी चुंबकीय स्याही से छापी गई सूचनाओं को पढ़ा जाता है। 


इसमें गलतियां होने की संभावना लगभग शून्य होती है, इसलिए इसका उपयोग बैंकों द्वारा चेक ड्राफ्ट आदि की प्रोसेसिंग या क्लीयरिंग में किया जाता है। 


स्मार्ट कार्ड्स जो विशिष्ट प्रकार की सूचना रखते हैं, उनमें भी एक मैग्नेटिक पट्टी होती है, जिस पर सूचना मैग्नेटिक इंक से अंकित होती है। इन कार्डों को MICR  के द्वारा ही पढ़ा व  प्रोसैस्ड किया जाता है। 



एम.आई.सी.आर की विशेषताएं 


  • एम.आई.सी.आर से तैयार किए गए डॉक्यूमेंट को फर्जी सिद्ध करना कठिन है।
  •  इसके द्वारा तैयार डॉक्यूमेंट मुड़ने व फटने पर भी पढ़ा जा सकता है।


9.टच स्क्रीन (Touch Screen)


टच स्क्रीन इनपुट का आधुनिक रूप है। इसमें एक विशेष प्रकार के मॉनिटर का उपयोग किया जाता है। इसमें इनपुट देने के लिए हम कीबोर्ड के बटनों को नहीं दबाते, बल्कि स्क्रीन पर ही निश्चित स्थान को छूते हैं या हल्के से दबाते हैं, इससे पता चलता है कि हम क्या इनपुट देना चाहते हैं?


 टच स्क्रीन का उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहां ग्राहकों को कंप्यूटर में कोई इनपुट देना होता है। जैसे- एटीएम मशीनों में या टिकट वेटिंग मशीनों में  


टच स्क्रीन की विशेषताएं (Feature of Touch Screen)


  •  इसके द्वारा लिखने के लिए कीपैड की आवश्यकता नहीं होती है। 
  • यह कीपैड की अपेक्षा जल्दी इनपुट देता है।



10.स्कैनर (Scanner)


स्केनर का प्रयोग पेपर पर लिखे हुए डाटा या छपे हुए चित्र को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। यह एक ऑप्टिकल इनपुट डिवाइस है जो इमेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलने के लिए प्रकाश को इनपुट की तरह प्रयोग करता है और फिर चित्र को डिजिटल रूप में बदलने के बाद कंप्यूटर में भेजता है ।


 स्केनर का प्रयोग किसी डॉक्यूमेंट को उसके वास्तविक रूप में स्टोर करने के लिए किया जाता है जिससे उसमें आसानी से कुछ बदलाव किया जा सके। 


स्केनर की विशेषताएं फ्लैट बेड बेड स्केनर अधिक शुद्ध एवं उच्चतम गुणवत्ता की इमेज बनाते हैं। स्केनर द्वारा किसी भी प्रिंटेड इमेज को डिजिटल फॉर्मेट में बदला जा सकता है और उन्हें किसी अन्य डॉक्यूमेंट में भी प्रयोग किया जा सकता है। 


स्केनर के प्रकार 


इसके प्रमुख प्रकार निम्न है -


1.हैंड हेल्ड स्कैनर 


आकार में काफी छोटे और हल्के होते हैं जिन्हें आसानी से हाथ में रखकर भी डॉक्यूमेंट को स्कैन किया जा सकता है। इनकी कीमत कम होती है, वह एक कम चौड़े होते हैं। 


स्कैन करना हो तो डॉक्यूमेंट के अलग-अलग भागों को स्कैन करना पड़ता है लेकिन आकार में छोटा और हल्का होना इसका एक महत्वपूर्ण होता है।


 2. ड्रम स्कैनर 


मध्यम आकार के स्केनर होते हैं। इनमें एक घूमने वाला ड्रम होता है। पेपर सीट को स्केनर में इनपुट देते हैं और स्केनर में लगा ड्रम पूरे पेज पर घूमता है, जिससे पूरा पेज स्कैन हो जाता है। यह बिल्कुल फैक्स मशीन की तरह कार्य करता है। 


3.फ्लैटबैड स्कैनर 


एक काफी बड़े और महंगे स्केनर होते हैं तथा काफी उच्च गुणवत्ता के चित्र उत्पन्न करते हैं। इसमें एक समतल पटल होता है, जिस पर डॉक्यूमेंट को रखकर स्कैन किया जाता है। यह बिल्कुल उसी तरह कार्य करता है जिस तरह फोटोकॉपी मशीन पर पेज रखकर फोटो कॉपी करते हैं यह एक बार में पूरा एक पेज स्कैन करता है।



11. माइक्रोफोन (MIC - Microphone)


माइक्रोफोन एक प्रकार की इनपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग कंप्यूटर को साउंड के रूप में इनपुट देने के लिए किया जाता है। माइक्रोफोन यूजर की आवाज को प्राप्त करके उसे कंप्यूटर के फॉर्मेट में परिवर्तित करता है, जिसे डिजिटल डिजिटल साउंड या डिजिटल ऑडियो भी कहते हैं। 


माइक्रो फोन में आवाज को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए एक सहायक हार्डवेयर की आवश्यकता होती है। इस सहायक हार्डवेयर को साउंड कार्ड कहते हैं। 


माइक्रोफोन को कंप्यूटर के साथ जोड़ा जाता है, जिससे आवाज कंप्यूटर में रिकॉर्ड हो जाती है। आजकल माइक्रोफोन का प्रयोग स्पीच रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर के साथ भी किया जाता है अर्थात इसकी सहायता से हमें कंप्यूटर में टाइप करने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि जो बोला जाता है वह डॉक्यूमेंट में छप जाता है। 


माइक्रोफोन की विशेषताएं 


  • यह ऑडियो या साउंड इनपुट करने में सहायक होता है। 
  • यह साउंड दबाव को वोल्टेज में बदलता है



12. वेब कैमरा


वेबकैम एक प्रकार की वीडियो कैपचरिंग  डिवाइस है। यह एक डिजिटल कैमरा है, जिसे कंप्यूटर के साथ जोड़ा जाता है। इसका प्रयोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन चैटिंग के लिए किया जाता है।


 इसकी सहायता से चित्र भी बना सकते हैं। यदि 2 लोगों के कंप्यूटर में वेब कैमरा लगा है और कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ा हुआ है, तो वह आसानी से एक दूसरे को देख कर बातचीत कर सकते हैं।


 वेबकैम की विशेषताएं (Features of Webcam)


  •  वेबकैम सुरक्षा और सामान्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर लगाया जाता है।
  •  वेबकैम अपने कम उत्पादन की लागत और लचीलापन के लिए जाना जाता है।



आउटपुट युक्तियाँ (Output Devices)


आउटपुट डिवाइस का प्रयोग कंप्यूटर से प्राप्त परिणाम को देखने के लिए किया जाता है। आउटपुट डिवाइस आउटपुट को सॉफ्ट अथवा हार्ड कॉपी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। 


सॉफ्ट कॉपी वह आउटपुट होता है जो यूजर को कंप्यूटर के मॉनिटर पर प्राप्त होता है, जबकि हार्ड कॉपी वह आउटपुट होता है, जो यूजर को पेपर पर प्रिंटेड रूप में प्राप्त होता है। यहां हम कुछ प्रमुख आउटपुट युक्तियों के बारे में जानने वाले हैं।


 प्रमुख आउटपुट युक्तियां निम्न है-


1. मॉनिटर (Monitor)


मॉनिटर को विजुअल डिस्प्ले यूनिट (VDU -Visual Display Unit) भी कहते हैं।मॉनिटर कंप्यूटर से प्राप्त परिणाम को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है। 


मॉनिटर दो प्रकार के होते हैं-

 मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनिटर और

 कलर डिस्प्ले मॉनिटर।


 मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनिटर टेक्स्ट को डिस्प्ले करने के लिए एक ही रंग का प्रयोग करता है और कलर डिस्प्ले मॉनिटर एक समय में 256 रंगों को दिखा सकता हैमॉनिटर पर चित्र छोटे-छोटे बिंदुओं (Dots) से मिलकर बनता है। इन बिंदुओं को पिक्सल्स के नाम से जाना जाता है।


मॉनिटर की विशेषताएं ( Features of Monitor)


  • मॉनिटर टेक्स्ट और ग्राफिक्स में बहुत सारे रंग डिस्प्ले करता है। 
  • इसकी स्क्रीन पर आउटपुट तुरंत डिस्प्ले हो जाता है। 
  • मॉनिटर सस्ता और विश्वसनीय होता है।



2. प्रिंटर (Printer)


प्रिंटर एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग कंप्यूटर से प्राप्त डाटा और सूचना को किसी कागज पर प्रिंट करने के लिए किया जाता है। यह ब्लैक और वाइट के साथ-साथ कलर डॉक्यूमेंट को भी प्रिंट कर सकता है।


 किसी भी प्रिंटर की क्वालिटी उसकी प्रिंटिंग की क्वालिटी पर निर्भर करती है अर्थात जितनी अच्छी प्रिंटिंग क्वालिटी होगी प्रिंटर उतना ही अच्छा माना जाएगा।


 किसी प्रिंटर की गति कैरेक्टर प्रति सेकंड (CPS - Character Per Second), लाइन प्रति मिनट(LPM - Line Per Minute) और पेजेस प्रति मिनट(PPM - Pages Per Minute) में मापी जाती है। किसी प्रिंटर की क्वालिटी डॉट प्रति इंच (DPI - Dots Per Inch) में मापी जाती है अर्थात पेपर पर 1 इंच में जितने ज्यादा से ज्यादा बिंदु होंगे प्रिंटिंग उतनी ही अच्छी होगी। Continue Reading…..Click here



3. प्लॉटर (Plotter)


प्लॉटर एक आउटपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग बड़ी ड्राइंग या चित्र जैसे कंस्ट्रक्शन प्लांस, मैकेनिकल वस्तुओं की ब्लूप्रिंट आदि के लिए किया जाता है।


इसमें ड्राइंग बनाने के लिए पेन, पेंसिल, मार्कर आदि राइटिंग टूल का प्रयोग होता है। यह प्रिंटर की तरह होता है। इसमें एक समतल चौकोर सतह पर कागज लगाया जाता है।


 इस सतह से कुछ ऊपर एक छड़ होती है, जो कागज के एक सिरे से दूसरे सिरे तक चल सकती है। इस छड़ पर अलग-अलग रंगों के दो या तीन पेन लगे होते हैं, जो छड़ पर आगे पीछे सरक सकते हैं।


 इस प्रकार छड़ और पेन की सम्मिलित हलचल से समतल सतह के किसी भी भाग में कागज पर चिन्ह या चित्र बनाया जा सकता है।


 इसके द्वारा छपाई अच्छी होती है, परंतु यह बहुत धीमे होते हैं तथा मूल्य भी अपेक्षाकृत अधिक होता है। लेजर प्रिंटरों के आ जाने के बाद इनका प्रयोग लगभग समाप्त हो गया है। 


प्लॉटर की विशेषताएं (Features of Plotter)


  • यह  पेपर कटर का आकार करने के लिए दस्तावेजों के ट्रीमिंग का काम आसान करता है।
  •  इनके पास इलेक्ट्रॉनिक्स लॉजिक बोर्ड होते हैं।



प्लॉटर के प्रकार (Types of Plotter)

प्लॉटर के दो प्रकार होते हैं-


1. फ्लैटबैड  प्लॉटर (Flatbed Plotter)

 

ये प्लाटर साइज में छोटे होते हैं तथा इसे आसानी से मेज पर रख कर प्रिंटिंग की जा सकती है, इसमें जो पेपर प्रयोग होता है उनका आकार सीमित होता है ।


2. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)


 ये साइज में काफी बड़े होते हैं तथा इसमें प्रयुक्त पेपर की लंबाई असीमित होती है। इसमें पेपर का एक रोल प्रयोग किया जाता है।


4. स्पीकर (Speaker)


स्पीकर एक ऐसी डिवाइस है, जिससे कंप्यूटर आवाज के रूप में आउटपुट दे सकता है। यह कंप्यूटर से डाटा विद्युत धारा के रूप में प्राप्त करता है, यह एक जोड़े के रूप में होता है। इसका उपयोग मल्टीमीडिया कंप्यूटरों के साथ किया जाता है।


 हम इसकी सहायता से संगीत, फिल्मों के गाने और संवाद भी सुन सकते हैं। स्पीकर का उपयोग करने के लिए कंप्यूटर में साउंड कार्ड का होना आवश्यक है। यह कार्ड मदर बोर्ड में एक निश्चित स्थान पर लगाया जाता है। 


स्पीकर की विशेषताएं (Features of Speaker)


  • ये आसानी से संचालित हो जाते हैं।
  •  Analog-digital रिकॉर्डिंग से ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं।



5. प्रोजेक्टर (Projector)


प्रोजेक्टर एक ऐसी डिवाइस है, जिसका प्रयोग कंप्यूटर से प्राप्त सूचना या डाटा को एक बड़ी स्क्रीन पर देखने के लिए किया जाता है। 


इसकी सहायता से एक समय में बहुत सारे लोग एक साथ बैठकर परिणाम को देख सकते हैं। इसका प्रयोग क्लास रूम में ट्रेनिंग या एक बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल जिसमें ज्यादा संख्या में दर्शक हों वैसी जगहों पर किया जाता है।


 इसके द्वारा छोटे चित्रों को बड़ा करके  सरलतापूर्वक देखा जा सकता है। यह एक प्रकार की आस्थाई  आउटपुट डिवाइस है।


प्रोजेक्टर की विशेषताएं (Features of Projector)


  • ये आसानी से इंस्टॉल हो जाते हैं।
  •  चित्र या टेक्स्ट को अधिकतम बड़ा करके देख सकते हैं।


6. हेडफोन (Headphone)


हेडफोन एक ऐसी डिवाइस है जो स्पीकर जैसा ही कार्य करती है, परंतु इसे सिर पर एक बेल्ट की तरह पहना जाता है।


 इसके स्पीकर दोनों कानों के ऊपर आ जाते हैं, इसलिए इनकी आवाज केवल इसे पहनने वाले व्यक्ति को ही सुनाई देती है।


 किसी - किसी हेडफोन के साथ एक माइक्रोफोन या माइक भी लगा होता है, जिसमें हम सुनने के साथ-साथ बोल भी सकते हैं। इस युक्ति का उपयोग प्रायः टेलीफोन ऑपरेटर, कॉलसेंटर ऑपरेटर आदि द्वारा किया जाता है।


 ध्वनि वाली युक्तियों का उपयोग केवल तभी कर सकते हैं, जब मदरबोर्ड में साउंड कार्ड लगा हो। आजकल लगभग सभी मदर बोर्ड में पहले से ही साउंड कार्ड लगा हुआ आता है।


 हेडफोन की विशेषताएं (Features of Headphone)


  • ये आसानी से उपयोग किए जा सकते हैं। 
  • यह सस्ते होते हैं और स्पीड अच्छी होती है।

निष्कर्श - आशा करता हुं दोस्तों आप लोगों को यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में हमने कम्प्यूटर के इनपुट और आउटपुट के बारे में विस्तार से बताया है । अगर आपने इस आर्टिकल को अच्छे से पढ़ लिया होगा तो यह लेख आपके प्रतियोगी परीक्षा के महत्वपूर्ण सहायक सिद्ध होगा।


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