गोदावरी अपवाह तन्त्र की प्रमुख नदियाँ । गोदावरी नदी तंत्र ( Major rivers of Godavari drainage system. Godavari River System)
गोदावरी प्रवाह तन्त्र का बहुत कम हिस्सा छत्तीसगढ़ में है। राजनान्दगाँव जिले के दक्षिण भाग का ढाल दक्षिण की ओर है, अत: इस भाग की नदियाँ दक्षिण की ओर बहकर गोदावरी क्रम का एक हिस्सा बनाती हैं।
यहाँ गोदावरी की सहायक कोटरी, कोहका तथा बोध नदियों के अपवाह क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर राजनान्दगाँव उच्च भूमि में हैं। इसका विस्तार दक्षिण जिले कांकेर, बस्तर तथा दन्तेवाड़ा के अन्तर्गत है।
बस्तर जिले का 93% तथा राजनान्दगाँव जिले का 21% भाग गोदावरी बेसिन में है। गोदावरी इस प्रवाह क्रम की प्रमुख नदी है। अन्य नदियाँ इन्द्रावती, सबरी, चिन्ता आदि हैं।
गोदावरी नदी
गोदावरी का उद्गम महाराष्ट्र में नासिक के दक्षिण-पश्चिम में स्थित त्रयम्बक की पहाड़ी है। गोदावरी नदी छत्तीसगढ़ की दक्षिणी सीमा बनाती हुई प्रवाहित होती है। गोदावरी की सहायक नदियाँ इन्द्रावती, सबरी, कोटरी, कोहका, बोध आदि हैं।
बस्तर जिले में नदी की लम्बाई 24 किमी एवं जिले में इसका प्रवाह क्षेत्र 4,240 वर्ग किमी है, जो जिले के प्रवाह क्षेत्र का 10.8% है। राजनान्दगाँव में नदी का प्रवाह क्षेत्र 2,558 वर्ग किमी है।
इन्द्रावती नदी
इन्द्रावती नदी कालाहाण्डी (ओडिशा) जिले में स्थित 4,000 फीट ऊँची मुंगेर पहाड़ी से निकली है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई जगदलपुर जिले से 40 किमी दूर पर चित्रकूट जलप्रपात बनाती है।
यह महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ की सीमा बनाती हुई दक्षिण दिशा में प्रवाहित होती है और अन्त में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश के सीमा संगम पर भोपालपट्टनम के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग-202 पर स्थित भद्रकाली के समीप गोदावरी में मिल जाती है। इस नदी की प्रदेश में लम्बाई 264 किमी है।
इसकी प्रमुख सहायक नदियों में कोटरी, निबरा, बोराडिग, नारंगी उत्तर की ओर से तथा नन्दीराज, चिन्तावागु इसके दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी दिशाओं में मिलती हैं। दक्षिण-पश्चिम की ओर डंकिनी और शंखिनी नदियाँ इस नदी में मिलती हैं। इस नदी पर बोध घाटी परियोजना प्रस्तावित है।
बोध नदी
बोध नदी राजनान्दगाँव जिले की कुलझारी पहाड़ी से निकलती है। यह वेनगंगा प्रवाह तन्त्र की एक शाखा है, जो राजनान्दगाँव जिले की पश्चिमी सीमा का निर्धारण करती हुई महाराष्ट्र में प्रवेश कर मध्य प्रदेश की दक्षिण-पूर्वी सीमा बनाती हुई बालाघाट जिले में वेनगंगा से मिल जाती है।
सबरी नदी
सबरी नदी को कोलाब भी कहते हैं। इसका उद्गम स्थल ओडिशा के कोरापुट जिले में हुआ है। यह गोदावरी की दूसरी बड़ी सहायक नदी है।
यह दन्तेवाड़ा जिले में पश्चिम से पूर्व फिर उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए आन्ध्र प्रदेश के खम्मम जिले में भद्राचलम के पश्चिम में लगभग 50 किमी की दूरी पर गोदावरी में मिल जाती है।
प्रदेश में कुल लम्बाई 173 किमी है। इस नदी में स्टीमर तथा नाव द्वारा परिवहन होता है।रानीधारा जलप्रपात इसी नदी पर अवस्थित है।
मरी नदी
मरी या मोरल शब्द वास्तव में मुरला का अपभ्रंश है। मरी का नाम पहले मोरल था। यह दक्षिण-पश्चिम दिशा में भैरमगढ़ से निकलकर बीजापुर की ओर प्रवाहित होती है।
कोभरा नदी
कोभरा नदी अपने अधिकांश प्रवाह में बस्तर की सीमा बनाती है।
गुदरा नदी
यह नदी बस्तर जिले की नारायणपुर तहसील से निकलकर छोटे डोंगर की चट्टानों के बीच से अबूझमाड़ की वनाच्छादित पहाड़ियों से प्रवाहित होती है। यह इन्द्रावती में बारसूर के समीप मिल जाती है।
नारंगी नदी
नारंगी नदी का उद्गम स्थल जगदलपुर जिले की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित मकड़ी नामक स्थान पर है। नारंगी नदी चित्रकूट प्रपात के निकट इन्द्रावती में मिलती है। इसमें उत्तर-पूर्व बस्तर की कोण्डागाँव तहसील की अधिकांश भूमि का जल संगृहीत होता है।
कोटरी नदी
कोटरी नदी इन्द्रावती नदी की सबसे लम्बी सहायक नदी है। इसका उद्गम राजनान्दगाँव जिले की मोहला तहसील से हुआ है। इसका अपवाह क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर राजनान्दगाँव उच्च भूमि में है।
यह उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हुई राजनान्दगाँव, कांकेर, बस्तर जिलो में होती हुई महाराष्ट्र में प्रवेश कर इन्द्रावती नदी में मिलती है।
डंकिनी और शंखिनी
दक्षिण-पश्चिम में इन्द्रावती की सहायक नदियाँ डंकिनी तथा शंखिनी हैं। डंकिनी नदी किलेपाल एवं पाकनार की डाँगरी डोंगरी से निकलती है।
शंखिनी का उद्गम बैलाडीला पहाड़ी के 4,000 फीट ऊँचे नन्दीराज शिखर से हुआ है।डंकिनी-शंखिनी का संगम दन्तेवाड़ा में होता है।
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