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छत्तीसगढ़ की भूगर्भिक संरचना | Geological Structure of Chhattisgarh - Gkviral


अगर आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यह लेख आपके लिए है, आप एक बार इस लेख को अवश्य पढ़ें । प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षाओं में जनरल नॉलेज की अहम भूमिका होती है। प्रत्येक परीक्षा में आपको जनरल नॉलेज के प्रश्न देखने को मिल जाएंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए इस लेख में छत्तीसगढ़ की भूगर्भिक संरचना के बारे में देखने वाले हैं।


इस लेख में आपको छत्तीसगढ़ की अति महत्वपूर्ण पांच भूगर्भिक संरचना के बारे में विस्तार पूर्वक पढ़ने को मिलेगा। जो आपके आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण होंगे।

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छत्तीसगढ़ की भूगर्भिक संरचना | Geological Structure of Chhattisgarh - Gkviral


छत्तीसगढ़ की भूगर्भिक संरचना | Geological Structure of Chhattisgarh


भूगर्भिक संरचना क्या है?What is Geological Structure?


किसी क्षेत्र की भूगर्भिक संरचना का प्रभाव उस क्षेत्र की स्थिति धरातलीय विशेषताओं अधिवासों के वितरण एवं प्रकृति के निर्धारण पर पड़ता है। इसके अलावा भूमि की प्रकृति मिट्टी के प्रकार चलिए स्थिति खनिज पदार्थों की उपलब्धता एवं कृषि योग्य भूमि आदि भूगर्भीय बनावट पर निर्भर करती है। भूगर्भिक संरचना का प्रभाव प्रदेश की आर्थिक क्रियाओं पर भी पड़ता है। राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान होता है। 


राज्य की भूगर्भीक प्रक्रिया से विकसित मिट्टीयों ने उपजाऊ भूमि का निर्माण किया है। छत्तीसगढ़ की भूगर्भीक संरचना में विभिन्न युगों की शैलें मिलती है। प्रदेश की भूगर्भिक संरचना में आर्कियन्स, धारवाड़ ,कडप्पा ,गोंडवाना एवं दक्कन मुख्य है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के निर्माण में रायोलाइट ,फेल्साइट लेटराइट, एलुमिनियम एवं लेंमटा बेड्स का भी प्रभाव है।


छत्तीसगढ़ की भूगर्भिक संरचना में विस्तारित इन शैल समूहों का मुख्य विवरण इस प्रकार से है-


छत्तीसगढ़ की मुख्य 5 भूगर्भिक संरचना


1.आर्कियन्स युग (आधमहाकल्प )के शैल समूह(Rock groups of Archean era)


रविदास चट्टान पृथ्वी की प्राचीनतम एवं कठोर चट्टान सर्वाधिक गहराई में विस्तारीत मुख्यत लावा से निर्मित जीवांश रहित चटाने है।


इन चट्टानों के अपरदन से हल्की रेतीली मिट्टी बनती है जो कृषि कार्य हेतु बहुत उपजाऊ नहीं होती है पर मोटे अनाजों के लिए उपयुक्त माना जाता है।


इस शैल  समूह का विस्तार सरगुजा संभाग के चांगभखार क्षेत्र से नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ पहाड़ियों के मध्य लगभग 50% भाग में है।


छत्तीसगढ़ में आर्कियन युग की प्रमुख चट्टाने ग्रेनाइट एवं नीस है। छत्तीसगढ़ के इन चट्टानों में ग्रेनाइट फेल्सपार क्वार्टज आदि खनिज पाए जाते हैं।


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2. धारवाड़ शैल समूह(Dharwad Rock Group)


धारवाड़ शैल समूह जलीय अवसादी चट्टानें है जो आर्कियन चट्टानों ग्रेनाइट एवं इ नीस के अपरदन से निर्मित हुई है। इनमें जीवाश्म नहीं पाया जाता है।


इन शैल समूहों में स्लेट, क्वार्टज, कंग्लोमेरेट, माइकासिस्ट एवं  नीस चट्टाने प्रमुख रूप से पाई जाती है।


प्रदेश में लौह अयस्क की प्राप्ति मुखियत  इसी शैल समूह से होती है यह प्रायः कृषि के लिए अनुपयोगी होता है।


इसका विस्तार मुख्यतः दंतेवाड़ा ,बस्तर ,नारायणपुर ,कांकेर, दुर्ग ,बालोद ,धमतरी ,बलोदा बाजार ,गरियाबंद आदि तक है।


भारत में सर्वाधिक खनिज इन्हीं शैल समूह से प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ की बाहरी सीमा पर चारों ओर धारवाड़ क्रम का विस्तार है।



3. कडप्पा शैल समूह(Cuddapah Rock Group)


धारवाड़ क्रम की चट्टानों के अपरदन एवं निक्षेपण के फलस्वरुप कडप्पा चट्टानों का निर्माण हुआ है । दूसरा सबसे बड़ा शैल समूह है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 30% क्षेत्र में इसका विस्तार है।


मुख्यता छत्तीसगढ़ के मैदान में इसका विस्तार है जैसे बस्तर, दंतेवाड़ा, दुर्ग ,बिलासपुर, रायपुर, जांजगीर, रायगढ़, कवर्धा, महासमुंद ,धमतरी और बलोदा बाजार आदि। इस शैल समूह में स्लेट, चूना पत्थर ,डोलोमाइट ,अभ्रक ,क्वार्टजाइट आदि खनिजों की परतें मुख्य रूप से मिलते हैं।


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4. गोंडवाना शैल समूह(Gondwana rock group)


नदियों के अवसादो के रूप में युगो से जमें वनस्पति एवं जीवों के  अवशेषों से इन चट्टानों का निर्माण हुआ है।


राज्य में पाया जाने वाला तीसरा बड़ा शैल समूह है। छत्तीसगढ़ के लगभग 17% भाग में इस शैल समूह का विस्तार है।


महानदी घाटी के साथ गोंडवाना क्रम की शैल दक्षिण-पूर्व की ओर फैली है। इस शैल समूह का विस्तार मुख्यतः कोरिया, कोरबा ,सरगुजा, रायगढ़, धर्मजयगढ़, घरघोड़ा, सूरजपुर तथा मांड नदी तक है।


 इन चट्टानों में मुख्यतः कोयला पाया जाता है साथ ही लौह अयस्क व जीवाश्म  भी पाए जाते हैं।


5. दक्कन ट्रैप शैल समूह (लमेटा)(Deccan Trap Rock Group (Lameta))


दरारी ज्वालामुखी से निकले बेसाल्ट युक्त लावा से इस शैल समूह का निर्माण हुआ है।


बेसाल्ट चट्टानों के अपरदन से काली मिट्टी का निर्माण होता है जो उपजाऊ मिट्टी है तथा रबी फसलों के लिए उपयोगी माना जाता है।


प्रदेश में दक्कन ट्रैप मैकल श्रेणी के पूर्वी भाग तक पाया जाता है ,इसका विस्तार सरगुजा, जसपुर आदि क्षेत्रों में है। लमेटा शैल समूह का विस्तार गौरेला के निकट मैकल श्रेणियों के ढाल तक पंडरिया लोरमी एवं पेंड्रा तहसील के उत्तर भाग तक है।


 छत्तीसगढ़ में दक्कन ट्रैप में बॉक्साइट के भंडार है।



Final Thoughts :-

आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! हम आशा करते हैं कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी जो आपके आगामी परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। आप अपना सुझाव अवश्य दें ताकि हमें इसी तरह के परीक्षा उपयोगी कंटेंट लिखने में प्रोत्साहित करें।

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