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छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ ।। Most important cast sedule of chhattisgarh.


छत्तीसगढ़ की मुख्य जनजातियाँ 


1 गोंड़ जनजाति 


  • निवास स्थल – दंतेवाडा, सुकमा , सूरजपुर, सरगुजा, कांकेर, बस्तर

गोंड़ जनजाति 42 जनजातियों के साथ पूरे भारत की सबसे बड़ी जनजाति है |ये स्वयं को कोयतोर कहते है जिसका अर्थ है पर्वतवासी |

  • प्रमुख उपजाति -  माड़िया, मुड़िया , अबुझमाड़िया,अगरिया , बैग, कमर, दोरला, ओझा ,नागवंशी, प्रधान
  • गोंड़ जनजाति दो वर्गों मै विभाजित है – राज गोंड़ (भूमि स्वामी) और घूर गोंड़ (भूमिहीन)

इनकी प्रजाति प्रोटॉस्ट्राय है और ये द्रविड़ियन भाषा समूह की बोली बोलते हैं |
विवाह –

  • गोंड़ जनजाति में ममेरे -फुफेरे भाई बहनों के बीच विवाह को मान्यता दी जाती है| जिसे दूध लौटावा विवाह कहा जाता है |इसके अलावा
  • चारघिया विवाह (सेवा विवाह)
  • पैसोतूर विवाह (अपहरण विवाह)
  • पठोंनी विवाह (लड़की पक्ष का  बारात ले जाना) तथा चढ़ विवाह आदि का प्रचलन है |
  • प्रमुख त्योहार – मेघनाथ, बिदरी, बकपंथी, नवाखानी,  छेरता, हरदिली, लाल काज
  • प्रमुख देवता – दूल्हा देव ,बूढ़ा देव, नारायणदेव
  • प्रमुख नृत्य –  , सैला सुआ ,रीना ,  एबलतोर ,गेड़ी, भदौनी

मुख्य पेय – पेज

  • गोंडों का मुख्या – प्रधान कहलाता है|
  • कुंडा मिलान – गोंड़ जनजाति में प्रचलित मृत्यु संस्कार
  • मुख्य कार्य – महुआ का शराब बेचना


2 बैगा जनजाति (सर्वाधिक गोदना प्रिय जनजाति)



  •   निवास स्थल – बिलासपुर, मुंगेली, कवर्धा, राजनांदगांव

बैगा का अर्थ पुरोहित होता है |ये  प्राकृतिक उपचारों में निपुण होते है इसलिए इन्हें मेडिसिन- मेंन कहते है |

  • प्रमुख उपजातियां – बिंझवार, भरोतिया, नरोतिया, राईभाईना ,कहभाईना, कुंडी, नाहर, गोंडवैंना
  • मुख्य देवता – बूढ़ा केव( जो सजा बृक्ष में निवास करते है|)

                     ठाकुर देव –( भूमि की रक्षा करते हैं)
                    दूल्हा देव – (बीमारियों से रक्षा करते हैं


  • मुख्य विवाह – पैठुल विवाह , हठ विवाह , उधड़ीया विवाह, लमसेना विवाह

  • तलाक की प्रक्रिया – तिनका -तोड़ना
  • स्थानांतरित कृषि – बेवार
  • बैगाओं का पहला भोजन बासी, दोपहर का -पेज  रात का – बियारी कहलाता है |
  • मुख्य पेय – सल्फी ,ताड़ी |
  • बैगा महिलाओं का वस्त्र – कपची
  • प्रमुख भोजन – खिंचड़ी- भाजी
  • प्रमुख नृत्य – करमा , बिलमा, सैल ,परधौनी
  • बैग विकास प्रधिकरण – कवर्धा
  • नोट – बैगा जनजाति का अध्यन वेरियर एल्विन ने किया था  उसने अपनी पुस्तक “द बैगास” में इन्हें विशिष्ठ हंसमुख जनजाति कहकर संबोधित किया था |

3 उरांव जनजाति (प्रोटो आस्ट्रेलायड प्रजाति)



  • निवास स्थल – जसपुर , सरगुजा ,रायगढ़

ये द्रविड़ भाषा परिवार के हैं तथा कुरुख बिली का प्रयोग करते हैं जो लिपिविहीन हैं |उरांव जनजाति सबसे शिक्षित जनजाति है जिन्होंने काफी संख्या में इसाई धर्म को अपनाया है |

  • प्रचलित विवाह – निवोर्लन विवाह (हठ विवाह) बन्दवा विवाह(मर्जी विवाह)
  • मुख्य व्यवसाय – कृषि
  • स्थानांतरित कृषि -  धारिया
  • प्रमुख नृत्य – करमा
  • मुख्य पेय – कोसना
  • मुख्य त्योहार – सरहुल ( साल बृक्ष में  फूल आने पर )

                       कतिहारी (फसल तैयार होने पर) ,  करमा पर्व

  • युवा गृह – धुमकुरिह | इसकी सदस्यता हेतु 9-10 वर्ष | धुमकुरिहा के सदस्यों को तीन वर्गों में बंटा गया हैं –
  • पूना जोरवार – (13 से कम आयु के सदस्य )
  • मजथुरिया जोरवार – ( 13 -18 के मध्य वर्ष के सदस्य)
  • धांगर – ( 18 से अधिक वर्ष के सदस्य)
  • धुमकुरिया का मुख्या – धांगर महतो कहलाता है | महिलाओं में मुख्या को बारकी ढंग़रीन कहा जाता है|

30 ग्रामों को मिला कर पंचायत बनाया जाता है जिसे परहा कहा जाता है | जिसका प्रमुख परहा राजा कहलाता है|

4 मुड़िया जनजाति 

मुड़िया जनजाति गोंडों की सबसे समृद्ध सांस्कृतिक  विरासत मानी जाती है|

  • निवास स्थल। - नारायणपुर , कोंडागांव,  दन्तेवाड़ा , बस्तर
  • मुख्य देवता – ठाकुर देव, महादेव ,लिंगोपेन ,आंगादेव
  • प्रमुख नृत्य – ककसार, मांदरी, हल्की, कोलांग घाटी
  • प्रमुख गीत – ककसारपाटा
  • मुड़िया जनजाति का अध्यन – वेरियर एल्विन ( पुस्तक – मुड़िया एंड देयर घोटुल)
  • मुड़िया जनजाति का युवा गृह – घोटुल कहलाता है |घोटुल का युवक सदस्य चेलिक तथा महिला मुटियारिन कहलाती है| घोटुल का प्रमुख – सिरेदार कहलाता है|घोटुल का प्रमुख देवता- लिंगोपेन देवता तथा घोटुल में गया जाने वाला गीत – रिलो गीत एवम घोटुल का प्रमुख नृत्य – मांदरी कहलाता है|


5 माड़िया जनजाति


  • अध्ययनकर्ता – डब्लू. ए. ग्रिगर्सन
  • निवास स्थल- नारायणपुर , बीजापुर, बस्तर

मंडियों में दो वर्ग पाए जाते है- दण्डामि माड़िया( जो मैदानों में निवास करते हैं)
                                           अबुझमाड़िया ( जो पहाड़ों में निवास करते हैं)
बस्तर के मैदानों में रहने वाले माड़िया दण्डामि माड़िया या बायसन हार्न के नाम से जाने जाते हैं, जो विशेष उत्सवों पर अपने सिर पर बायसन हार्न से बना शीर्ष धारण कर नृत्य करते हैं|वेरियर एल्विन ने इसे विस्व  का सबसे सुन्दरतम नृत्य कहा है|

  • माड़िया जनजाति का प्रमुख पेय – सल्फी
  • माड़िया जनजाति का मुख्या – गायता
  • युवगृह – घोटुल
  • अबुझमेडियों का स्थानांतरित कृषि – पेड्डा
  • मृतक स्तम्भ- हनलगट्टा
  • अबुझमण्ड विकास प्राधिकरण – नारायणपुर


6 कमर जनजाति ( बांस शिल्प जनजाति)



  • निवास स्थल – गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद

कमार के अतिरिक्त किसी अन्य जाती से बाल कटवाना  अपराध माना जाता है|
कमार जनजाति का अध्ययन डॉ. श्यामाचरण दुबे ने किया है जिनकी पुस्तक “ द कमार” है

  • प्रमुख वाद्ययंत्र – मंदार
  • स्थानन्तरित कृषि- दाहिया
  • पंचायत – कुरहा
  • कमार प्राधिकरण- गरियाबंद


7 हल्बा जनजाति


  • निवास स्थल – कोंडागांव , बस्तर, कांकेर, धमतरी
  • इनकी तीन मुख्य जनजाति हैं – बस्तरिया ,छत्तीसगढ़िया, मरेठिया
  • हल  वाहक होने के कारण इनका नाम हल्बा पड़ा |ये हल्बी बोली का प्रयोग करते हैं  जिनमे उड़िया, छत्तीसगढ़िया,और मराठी बोली का मिश्रण है| पूरे बस्तर प्रदेश की संपर्क बोली हल्बी है |अधिकांश हल्बा कबीर पंथी हो गए हैं और वे मांस -मदिरा से दूर रहते हैं| इनका मुख्य व्यवसाय -कृषि है|


8 बिंझवार जनजाति (बैगा की उपजाति)


  • निवास स्थल – रायपुर, बिलासपुर, बलौदाबाजार
  • बिंझवार जनजाति की चार उपजतियाँ हैं – बिंझवार, सोनझार, बिरझिया, बींझिया

बिंझवार शब्द की उत्पत्ति विंध्य पहाड़ी से मानते हैं ,और विंध्यवसनी। देवी की पूजा करते हैं|इस जनजाति में उचित पति न मिलने पर कन्या का विवाह तीर के साथ कर दिया जाता है |छत्तीसगढ़ के  स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह बिंझवार जनजाति के थे |


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