छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ: संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली
छत्तीसगढ़ भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ आदिवासी
संस्कृति और परंपराएँ गहराई से जुड़ी हुई हैं। राज्य की कुल
आबादी का लगभग 30% से अधिक हिस्सा जनजातीय समुदायों से आता है। यहाँ की जनजातियाँ अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, रीति-रिवाजों और प्राकृतिक जीवनशैली के लिए जानी जाती हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह आर्टिकल छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।
1. गोंड जनजाति
- जनसंख्या: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जनजाति।
- क्षेत्र: बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोरबा और सरगुजा।
विशेषताएँ:
- गोंड लोग प्रकृति पूजक हैं और "पेन" (देवता) की पूजा करते हैं।
- इनकी भाषा "गोंडी" है, जो द्रविड़ परिवार से संबंधित है।
- घोटुल (युवा संस्कार केंद्र) गोंड संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- प्रसिद्ध "मड़ई पर्व" (फसल उत्सव) मनाते हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- गोंड विद्रोह (भूमकाल और हल्बा विद्रोह) ब्रिटिश काल में हुए थे।
- राज्य में गोंड राजाओं ने बस्तर और सरगुजा पर शासन किया था।
2. बैगा जनजाति
- जनसंख्या: मुख्य रूप से बिलासपुर, कोरबा और कवर्धा जिलों में निवास करते हैं।
विशेषताएँ:
बैगा लोग "आदिवासी ब्राह्मण" कहलाते हैं क्योंकि वे अन्य जनजातियों के पुजारी होते हैं।
- "बेड़ा नृत्य" इनका प्रसिद्ध लोकनृत्य है।
ये झूम खेती करते हैं और जंगली फल-कंद पर निर्भर रहते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- बैगा लोग भूमि को जोतना पाप मानते हैं, इसलिए वे झूम खेती करते हैं।
3. हल्बा जनजाति
- क्षेत्र: बस्तर और दंतेवाड़ा।
विशेषताएँ:
- हल्बा लोग कृषि और युद्ध कला में निपुण होते हैं।
- इनकी भाषा हल्बी है, जो छत्तीसगढ़ी और तेलुगु का मिश्रण है।
- दशहरा इनका प्रमुख त्योहार है, जिसमें रथ यात्रा निकाली जाती है।
ऐतिहासिक महत्व:
- 1774 में हल्बा विद्रोह ब्रिटिश शासन के खिलाफ हुआ था।
4. भतरा जनजाति
- क्षेत्र: बस्तर और दंतेवाड़ा।
विशेषताएँ:
- भतरा लोग धान की खेती में माहिर हैं।
- इनकी संस्कृति में गीत-नृत्य का विशेष स्थान है।
- दीवाली को "देवारी" के रूप में मनाते हैं।
5. कोरकू जनजाति
- क्षेत्र: अम्बिकापुर (सरगुजा) और बिलासपुर।
विशेषताएँ:
- कोरकू लोग पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं।
- इनका मुख्य व्यवसाय शिकार और संग्रहण है।
- "भगोरिया हाट" (प्रेम विवाह मेला) इनकी प्रमुख परंपरा है।
6. कमार जनजाति
- क्षेत्र: गरियाबंद और महासमुंद।
विशेषताएँ:
- कमार लोग बाँस शिल्प में माहिर हैं।
- ये घुमंतू जनजाति हैं और नदी किनारे रहते हैं
छत्तीसगढ़ की अन्य प्रमुख जनजातियाँ:
- उराँव – कोरबा और जशपुर।
- माड़िया – बस्तर (घने जंगलों में रहने वाली जनजाति)।
- धनवार – मछुआरे समुदाय।
- नगेशिया – सरगुजा।

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- पोला त्योहार – किसानों द्वारा बैलों की पूजा की जाती है।
- नवाखाई – नई फसल का उत्सव।
- गोंडी नृत्य – करमा, सुआ और पंथी नृत्य प्रसिद्ध हैं।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ राज्य की सांस्कृतिक विविधता की धरोहर हैं। इनकी परंपराएँ, कला और जीवनशैली प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलती हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में छत्तीसगढ़ की जनजातियों से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, इसलिए यह जानकारी विशेष रूप से उपयोगी है।
क्या आप जानते हैं?
- छत्तीसगढ़ में 42 से अधिक जनजातियाँ निवास करती हैं।
- बस्तर दशहरा (75 दिनों तक चलने वाला) विश्व का सबसे लंबा त्योहार है।
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