मध्यकालीन भारत का इतिहास | History of Medieval India,
भारत पर अरबों का आक्रमण
अरबों ने भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में किया। 712 ई.पू. में अरबों ने सिन्ध पर विजय पायी थी। अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर दाहिर का शासन था। गजनी साम्राज्य का संस्थापक अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार था। अलप्तगीन का दामाद सुबुक्तगीन था।
महमूद गजनी सुबुक्तगीन का पुत्र था। अपने पिता के काल में गजनी खुरासान का शासक था। 997 ई. में महमूद गजनी 27 वर्ष की अवस्था में गद्दो पर बैठा। महमूद गजनी के दो पुत्र मसूद और मुहम्मद थे। महमूद गजनी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए।
महमूद गजनी का सबसे चर्चित आक्रमण 1025 ई. में सोमनाथ मंदिर (साराष्ट्र) पर हुआ। इस मंदिर की लूट में उसे करीब 20 लाख दीनार की सम्पत्ति हाथ लगी। महमूद गजनी की मृत्यु 1030 ई. में हो गयी।
मुहम्मद गौरी द्वारा लड़ा गया प्रमुख युद्ध
- तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ई. में गौरी एवं पृथ्वीराज पृथ्वीराज चौहान के मध्य इस युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान की विजयी हुई।
- तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 ई. में मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ इस युद्ध में मुहम्मद गौरी की विजयी हुई।
- चन्दावर का युद्ध 1194 ई. में गौरी एवं जयचन्द्र के बीच हुआ इस युद्ध मे गौरी विजयी रहा।
- मुहम्मद गौरी भारत के विजित प्रदेशों पर शासन का भार अपने गुलाम सेनापतियों को सौंपते हुए गजनी वापस लौट गया। मुहम्मद गौरी की हत्या 15 मार्च, 1206 को कर दी गई।
गुलाम वंश की शुरुआत
1. कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210 ई.)
- गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. में कुतुबुद्दोन ऐबक ने की थी। वह मुहम्मद गौरी का गुलाम था।
- गुलामों को फारसी में बंदगो कहा जाता था। इन्हें सैनिक सेवा के लिए खरीदा जाता हैं।
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून, 2016 को किया था।
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर से बनायी थी। कुतुबुद्दीन की नींव कुतुबद्दोन ऐबक ने रखी थी।
- ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गयी। इसे लाहौर में दफनाया गया।
2. इल्तुतमिश ( 1211-1236 ई.)
- आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
- इल्तुतमिश तुर्किस्तान की इल्बरी तुर्क था, जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था।
- इल्तुर्ता मेश लाहौर से राजधानी को स्थानान्तरित करके दिल्ली लाया।
- इल्तुतमिश पहला शासक था, जिसने 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की।
- इल्तुत मिश की मृत्यु अप्रैल, 1236 में हो गयी।
3. ग्यासुद्दीन बलबन (1286-86 ई.)
- नासिरुद्दीन के साथ ही इल्तुतमिश के शम्सी वंश का अंत हुआ एवं बलबनी वंश का सल्तनत पर अधिकार हो गया।
- बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन बलबन था।
- बलबन को ख्वाजा जमालुद्दोन वसरी नामक व्यक्ति खरीद कर 1232-33 ई. में दिल्ली लाया था।
- 1266 ई. में बहाउद्दोन ग्यासुद्दोन बलबन के नाम से सुल्तान बना। 1286 ई. में बलबन की मृत्यु हो गई।
4. अलाउद्दीन खिलजी ( 1296-1316 ई.)
- अलाउद्दीन 22 अक्टूबर, 1296 में दिल्ली का सुल्तान बना।
- अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली या गुरशस्प था।
- अलाउद्दीन ने सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि धारण की थी।
- अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 फरवरी, 1316 को हुई।
5. मुहम्मद बिन तुगलक (1325-51 ई.)
- ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद जोना खाँ मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
- भारतीय इतिहास में मुहम्मद बिन तुगलक पागल, सनकी, रक्तपिपासु आदि नामो से जाना जाता था।
- तुगलक के काल में दिल्ली सल्तनत का साम्राज्य सर्वाधिक विस्तृत था।
- 1333 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक ने इब्नबतूता को दिल्ली का कासी नियुक्त किया।
- 1347 ई. में महाराष्ट में अलाउद्दीन बहमन शाह ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की।
6. फिरोजशाह तुगलक ( 1351-88 ई.)
- मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के पश्चात् उसका चचेरा भाई फिरोजशाह तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
- फिरोजशाह तुगलक का राज्याभिषेक बट्टा में हुआ तथा पुनः 1351 ई. में दिल्ली में दो बारा राज्याभिषेक हुआ।
- उसने 24 आपत्तिजनक करो को समाप्त कर दिया।
- फिरोजा तुगलक ने लगभग 300 प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों का फारसी अनुवाद अलाउद्दीन खालिद द्वारा दलायले-फिरोजशाही के नाम से करवाया।
7. सिकन्दर लोदी (1489-1571 ई.)
- बहलाल मोदी का पुत्र निजाम खाँ 17 जुलाई, 1489 में सुल्तान सिकन्दर शाह की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
- 1504 ई. में सिकन्दर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की।
- भूमि के लिए मापन के प्रमाणिक पैमाने गजे सिकन्दी का प्रचलन सिकन्दर लोदी ने किया।
- 21 अपैल, 1526 को पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी बाबर से हार गया। इस युद्ध में वह मारा गया।
मुगल साम्राज्य
मुगल वंश का संस्थापक बाबर था बाबर एवं उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे।बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की, जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था।
1. बाबर (1526-1530ई.)
- बाबर का जन्म फरवरी, 1483 में हुआ था।
- इनके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे-से राज्य के शासक थे।
- बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 में बैठा।
- बाबर ने 1507 ई. में बादशाह की उपाधि धारण की जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नही किया था।
बाबर के चार पुत्र थे-
- हुमायँ,
- कामरान,
- असकरी तथा
- हिंदाल।
बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध
- पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 में इब्राहिम लोदी एवं बाबर के बीच हुआ इस युद्ध मे बाबर विजयी रहा।
- खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 को राणा साँगा एवं बाबर के मध्य हुआ इस युद्ध मे बाबर कि विजयी हुई।
- चन्देरी का युद्ध 29 फरवरी, 1528 मेदिनी राव एवं बाबर के मध्य हुआ इस युद्ध में भी बाबर विजयी रहा।
- घाघरा का युद्ध 6 मई, 1529 को अफगानी एवं बाबर में बीच हुआ इस युद्ध में भी बाबर की विजयी हुआ।
2. हुमायँ (1530-1566 ई.)
- नसीरूद्दीन हुमायूँ, 29 दिसम्बर, 1530 ई. को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा।
- गद्दी पर बैठने पर हुमायूँ बदख्शाँ का सूबेदार था।
3. जहाँगीर (1605-1627 ई.
- जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त, 1569 में हुआ।
- अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सूफो संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा।
- जहाँगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता हैं।
- जहाँगीर द्वारा शुरू की गई तुजुक-ए-जहाँगीरी नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रेय मौतबिंद खाँ को हैं।
- जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरो ने 1606 ई. में अपने पिता के विरूद्ध विद्रोह कर दिया।
- जहाँगीर ने गयास बेग को शाही दीवान बनाया एवं एत्माद-उद-दौला की उपाधि दी।
- जहाँगीर के शासनकाल में ईरानियों को उच्च पद प्राप्त हुआ।
जहाँगीर के पाँच पुत्र थे-
- खुसरो
- परवेज
- खुर्रम
- शहयार
- जहाँदार
- 28 अक्टूबर, 1627 को भीमवार नामक स्थान पर जहाँगीर की मृत्यु हो गयी।
4. शाहजहाँ (1627-1657 ई.)
- जहाँगीर के बाद सिहासन पर शाहजहाँ बैठा।
- जोधपुर के शासक मौटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ में 5 जनवरी, 1562 को खुरम (शाहजहाँ) का जन्म लाहौर में हुआ था।
- 4 फरवरी, 1628 को शाहजहाँ आगरा में अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन साहिब किरन-ए-सानी की उपाधि प्राप्त कर सिंहासन पर बैठा।
- इसने नूरजहाँ को 2 लाख प्रतिवर्ष की पेंशन देकर लाहौर जाने
- दिया, जहाँ 1645 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी।
शाहजहाँ द्वारा बनवायी गयी प्रमुख इमारते हैं-
- दिल्ली का लाल किला,
- दीवाने आम,
- दीवाने खास
- दिल्ली की जामा मस्जिद
- आगरा की मोती मस्जिद,
- ताजमहल आदि।
- शाहजहाँ ने 1638 ई. में अपनी राजधानी को आगरा से दिल्लो लाने के लिए यमुना नदी के दाहिने तट पर शाहजहाँवाद की नींव डाली।
- 15 अप्रैल, 1658 में दारा एवं औरंगजेब के बीच धरमट का युद्ध हुआ। इस युद्ध में दारा की पराजय हुई ।
- सामूगढ़ का युद्ध 29 मई, 1658 को दारा एवं औरंगजेब के बीच हुआ। 8 जून, 1658 को औरंगजेब ने शाहजहाँ को बंदी बना लिया।
- आगरा के किले में अपने कैदी जीवन के आठवें वर्ष अर्थात् 22 जनवरी, 1666 को 74 वर्ष की अवस्था में शाहजहाँ की मृत्यु हो गयी।
5. औरंगजेब (1658-1707 ई.)
- औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर, 1618 को दोहाद (गुजरात) नामक स्थान पर हुआ था।
- औरंगजेब के बचपन का अधिकांश समय नूरजहां के पास बीता।
- 18 मई, 1637 को फारस के राजघराने की दिलराज बानो बेगम के साथ औरंगजेब का निकाह हुआ।
- औरंगजेब के गुरू थे-मीर मुहम्मद हकीम।
- औरंगजेब ने 1679 ई. में जजिया-कर को पुनः लागू किया।
- औरंगजेब ने बीबी का मकबरा का निर्माण 1679 ई. में औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में करवाया।
- 1685 ई. में बीजापुर एवं 1687 ई. में गोलकुण्डा को औरगजेब ने मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
- औरंगजेब की मृत्यु 20 फरवरी, 1707 में हुई।
औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मराठों का उत्कर्ष
- शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था। शिवाजी के गुरू कोंडदेव थे।
- आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी क आचरण पर गुरू रामदास का काफी प्रभाव था
- शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकार से 1640 ई. हुआ।
- शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली।
- अपने सैन्य अभियान के अंतर्गत 1644 ई. में शिवाजो ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया और 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।
- बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खाँ को सितम्बर, 1665 में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा, शिवाजी ने अफजल खाँ की हत्या कर दी।
- शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसल एवं माता का नाम जीजाबाई था शाहजी भोंसले की दूरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था।
- शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. में 1670 ई. में लूटा।
- पुरन्दर की सन्धि 1665 ई. में महाराजा जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य सम्पन्न हुई।
- 1672 ई. में शिवाजी ने पन्हावा दुर्ग को बीजापुर से छीना।
- 5 जून, 1674 को शिवाजी ने रायगढ़ में वाराणसी (काशी) के प्रसिद्ध विद्वान भी गंगाभटट द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया।
- शिवाजी को आरंगजेब ने मई, 1666 में जयपुर भवन में कैद कर लिया, जहां से वे 16 अगस्त, 1666 में भाग निकले।
- मात्र 53 वर्ष की आयु में 3 अप्रैल, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गयी।
अंग्रेज-मराठा संघर्ष के अंतर्गत होने वाली प्रमुख संधियाँ
क्रमांक सन्धि वर्ष
1. सूरत की संधि 1775 ई.
2. पुरन्दर की संधि 1782 ई.
3. बड़गाँव की संधि 1779 ई.
4. सालाबाई की संधि 1782 ई.
5. बसीन की संधि 1802 ई.
6. देवगाँव की संधि 1803 ई.
7. सुर्जी अर्जुनगांव की संधि 1803 ई.
8. राजापुर घाट की संधि 1804 ई.
9. नागपुर की संधि 1816 ई.
10. ग्वालियर की संधि 1817 ई.
11. पूना की संधि 1817 ई.
12. मंदसौर की संधि 1818 ई.