गर्भवती महिलाओं के लिए 6000 रूपये का मातृत्व लाभ
गर्भवती महिलाओं के लिए 6000 रूपये का मातृत्व लाभ योजना :-
भारत दुनिया के उन देशों में से एक है, जहाँ मातृत्व मृत्यु दर बहुत अधिक है, और यह दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है इसे रोकना बहुत जरुरी है. विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकीय (WHS) सन 2015 के अनुमान के अनुसार, भारत की MMR या मातृ मृत्यु दर हर 1 लाख जीवित जन्म में से 174 लोगों की मृत्यु पर आधारित है. हर 1,00,000 में से 174, यह देखने में बहुत ही कम संख्या लगती है, किन्तु उल्लेखनीय यह है कि दुनिया के विभिन्न अन्य देशों की तुलना में यह बहुत अधिक है तो सवाल यह उठता है कि -‘असल में मातृ मृत्यु दर है क्या?’ यह मृत्यु दर नवजात बच्चे की मौत की संख्या की गिनती नहीं है. बल्कि यह उन महिलाओं की मौत की संख्या की गिनती है, जोकि एक बच्चे को जन्म देने के दौरान होती हैं. गर्भावस्था के समय, बच्चे के जन्म के समय, या पोस्ट प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली मौत के कई कारण हो सकते है.
आम तौर पर गरीबों की शारीरिक हालत के साथ – साथ गर्भावस्था के समय शारीरिक तनाव और अधिक बढ़ जाता है. यह महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है, साथ ही अनुचित गर्भावस्था प्रबंधन भी गर्भवती महिलाओं की मौत का कारण बन सकता है. गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बहुत ही सावधानी बरतने की जरुरत होती है. उनके खान – पान में भी बदलाव हो जाता है और उन्हें पोषित आहार लेने की आवश्यकता होती है ताकि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को पर्याप्त पोषण प्राप्त हो सके. लेकिन गरीब परिवारों की महिलाएँ इन सभी सुविधाओं के लिए असमर्थ होती है क्योकि उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वे अपना और अपने बच्चे दोनों का गुजारा कर सकें|
इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश की गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की है|
गर्भवती महिलाओं के लिए 6000 रूपये का मातृत्व लाभ योजना की विशेषतायें :
गर्भवती महिलाओं के लिए 6000 रूपये के मातृत्व लाभ योजना की विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- भारत के चुने गए जिलों में सभी गर्भवती महिलाओं के लिए 6000 रूपये का वित्तीय लाभ देना है|
- इस योजना के तहत भारत के 650 जिलों को जोड़ा जायेगा.
- वित्तीय सहायता के लिए पैसे सीधे लाभ उठाने वाली गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में डाल दिए जायेंगे|
प्रदान किये जाने वाले पैसे गर्भावस्था से संबंधित कुछ विभिन्न खर्चों को कवर करने के लिए होंगे, जैसे कि टीकाकरण के लिए खर्च, अस्पतालों में प्रवेश के लिए खर्च, पोषक आहार की खरीद के लिए खर्च आदि और भी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाले खर्च हैं|
इस तरह की पहले की योजना :-
वर्तमान भारत सरकार के अनुसार मातृत्व मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिए यह नई योजना है, किन्तु राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार गर्भवती महिलाओं को लाभ पहुँचाने के लिए इस योजना में कुछ भी नया नहीं है. उन्होंने सन 2013 में पारित हुए, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में एक खंड में इसका उल्लेख किया है. यह 2005 में शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना और इंद्रा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना जैसे विभिन्न अन्य योजनाओं का भाग है. इसके अलावा सन 2010 में भारत सरकार ने पहले से ही पायलट प्रोजेक्ट का परिचालन बनाया है. इसे निम्न आधार पर बताया गया है|
इस योजना के पूर्व परिक्षण को लागू करने के लिए 53 जिलों को चुना गया.
शुरुआत में, लाभ प्राप्त करने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रस्ताव या वित्तीय सहायता 6000 रूपये के इरादे के बजाय 4000 रूपये की वित्तीय सहायता दी गई.
इसके तहत 2010 – 2011 और 2013 – 2014 के बीच लगभग 61,972 गर्भवती महिलाओं को लाभ दिया गया.
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