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छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ और उनकी अर्थव्यवस्था


छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ और उनकी अर्थव्यवस्था - Chhattisgarh ke Pramukh Janjatiyan aur Unake Arthavyavastha: प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए संपूर्ण मार्गदर्शिका


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Chhattisgah ke Pramukh Janjatiyaan aur Unake Arthavyavastha

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छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियों और उनकी अर्थव्यवस्था को विस्तार से जानें। गोंड, कोरवा, मारिया, हल्बा, बैगा, बिंझवार और अन्य जनजातियों की जीवन-शैली, संस्कृति और आर्थिक गतिविधियों पर एक संपूर्ण मार्गदर्शिका। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी और याद करने के टिप्स।

नमस्ते दोस्तों! क्या आप जानते हैं कि हमारा छत्तीसगढ़ सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और जीवन-शैलियों का एक अद्भुत संगम है? यहाँ की जनजातियाँ हमारे समाज की रीढ़ हैं, जिनके रहन-सहन और अर्थव्यवस्था को समझना हमें इस भूमि से और भी गहराई से जोड़ता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियों और उनकी आर्थिक गतिविधियों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जो न केवल आपके ज्ञान को बढ़ाएगा बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा।


यह प्रतियोगी परीक्षा के लिए क्यों जरूरी है और कौन-कौन से एग्जाम के लिए उपयोगी है?


छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ और उनकी अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रश्न लगभग हर प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते हैं, खासकर जो छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित हैं।

  • राज्य सेवा परीक्षा (CGPSC): प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों में जनजातीय संस्कृति, इतिहास, भूगोल और अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

  • व्यापम (CGVYAPAM) द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाएं: पटवारी, हॉस्टल वार्डन, शिक्षक भर्ती, सब इंस्पेक्टर आदि परीक्षाओं में छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान के तहत इस विषय का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाएं: छत्तीसगढ़ पुलिस, वन सेवा परीक्षा आदि में भी जनजातीय जानकारी आवश्यक है।
  • राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं (UPSC): हालांकि सीधे तौर पर नहीं, लेकिन भारत की जनजातियों से संबंधित सामान्य अध्ययन के प्रश्नों में क्षेत्रीय जनजातियों की समझ सहायक हो सकती है।

  • यह विषय सिर्फ ज्ञानवर्धक ही नहीं, बल्कि स्कोरिंग भी है। यदि आप इस पर अच्छी पकड़ रखते हैं, तो आप अन्य उम्मीदवारों से आगे निकल सकते हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं........


छत्तीसगढ़ के प्रमुख जनजातियाँ और उनकी अर्थव्यवस्था
(CG Pramukh Janajaatiyaan aur Unakee Arthavyavastha)



1. गोंड जनजाति


1. विवरण और निवास:


  • गोंड छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जनजाति है।
  • मुख्य निवास: बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोण्डागाँव, कांकेर, सुकमा, जांजगीर-चांपा, दुर्ग, रायगढ़, बिलासपुर, सरगुजा।
  • स्वयं को 'कोया' या 'कोयतोर' (अर्थ: मनुष्य/पर्वतवासी) कहते हैं।
  • 'गोंड' शब्द तमिल के 'कोंड' (पर्वत) से आया है।
  • कुल 30 शाखाएँ; प्राक्-द्रविड़ प्रजाति से संबंधित।



2.शारीरिक बनावट और जीवनशैली:


  • त्वचा काली, बाल काले-सीधे, होंठ पतले, नथुने फैले, सिर-मुंह चौड़ा।
  • पुरुष: छोटा सूती कपड़ा, कभी बन्डी या सिर पर कपड़ा।
  • महिलाएँ: चोली नहीं पहनतीं, छाती खुली; उत्सवों पर आकर्षक वस्त्र।
  • भोजन: मांस, कंदमूल, फल; महुआ से शराब बनाते हैं।
  • व्यवसाय: कृषि (स्थानान्तरित), शिकार, जंगल से संग्रह, टोकरी-रस्सी निर्माण।



3. सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताएँ


  • प्रमुख देवता: दूल्हा देव, बड़ा देव, नागदेव, नारायण देव।प्रथाएँ: वधू धन, विधवा विवाह, दूध लौटावा विवाह।
  • विशेषता: अत्यंत ईमानदार।


महत्वपूर्ण बिंदु


  • गोंड छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जनजाति है, जो मुख्यतः बस्तर क्षेत्र में निवास करती है।
  • ये कोया/कोयतोर कहलाना पसंद करते हैं; कृषि, शिकार और महुआ से शराब बनाना इनके मुख्य कार्य हैं।




2. कोरबा जनजाति:


1.विवरण और निवास


  • कोरबा जनजाति छत्तीसगढ़ के कोरबा, बिलासपुर, सरगुजा, सूरजपुर और रायगढ़ जिलों में रहती है।
  • कोलेरियन प्रजाति से संबंधित; मुण्डा और सन्थाल जनजातियों जैसी जीवनशैली।


उपजातियाँ:

  • पहाड़ी कोरबा (बेनबरिया): पहाड़ों पर, जंगली कंदमूल और शिकार पर निर्भर।
  • दिहारिया कोरबा (किसान कोरबा): समतल मैदानों में, कृषि कार्य।


2.सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताएँ


  • विवाह: जाति के अंदर, वधू धन प्रथा; विधवा विवाह और तलाक प्रचलित।
  • पंचायत: 'मैयारी' नामक पंचायत, जिसमें बड़े-बुजुर्ग और बुद्धिमान लोग शामिल।
  • पूजा: भगवान, सूर्य, चंडी देवी और पितर पूजा; सर्प पूजा भी प्रचलित।
  • मुख्य त्योहार: करमा।
  • विशेषता: मदिरा प्रिय; पहाड़ी कोरबा रूढ़िवादी और एकांतप्रिय।



3.आजीविका


  • पहाड़ी कोरबा: शिकार, कंदमूल संग्रह।
  • दिहारिया कोरबा: कृषि (स्थानान्तरित कृषि भी)।


महत्वपूर्ण बिंदु:


  • कोरबा जनजाति कोलेरियन समूह से है, छत्तीसगढ़ के पूर्वी जिलों में निवास।
  • पहाड़ी कोरबा शिकार पर, दिहारिया कोरबा कृषि पर निर्भर; करमा मुख्य त्योहार।



3. मारिया जनजाति


1. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, बस्तर, नारायणपुर, और कोण्डागाँव जिलों में निवास।


2. उप-जातियाँ: भूमिया, भईहार, और पांडो।


3. निवास स्थान:अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं।कुछ मैदानी मारिया नदी घाटियों और समतल भूमि पर रहते हैं, जो कृषि कार्य करते हैं।


4.शारीरिक रचना: गोंड जनजाति के समान।


5.धर्म: हिन्दू धर्म का पालन, हिन्दू देवी-देवताओं, सर्प, बाघ आदि की पूजा।


6.मुख्य देवता: भीमसेन।



4. हल्बा जनजाति


1. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के रायपुर, बस्तर, कोण्डागाँव, कांकेर, सुकमा, दंतेवाड़ा, और दुर्ग जिलों में निवास।


2. उप-जातियाँ: बस्तरिया, भटेथिया, छत्तीसगढ़िया।


3. भाषा: बोलचाल में मराठी प्रभाव, मराठी शब्दों का अधिक प्रयोग।


4. पेशा: कृषक वर्ग, अधिकांश भूस्वामी।


5. धर्म: कई हल्बा कबीर पंथी, रीति-रिवाज हिन्दू जाति से मिलते-जुलते।


6. विशेषता: कम वस्त्र पहनते हैं, हलवाहक होने के कारण नाम 'हल्बा'।




5. कोरकू जनजाति


1. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के रायगढ़, सरगुजा, बलरामपुर, और जशपुर जिलों में निवास।


2. उप-जातियाँ: मोवासी, बवारी, रूमा, नहाला, बोडोया।


3. पेशा: कृषक और कृषक श्रमिक, वनोपज संग्रह, वनों में मजदूरी।


4. वर्गीकरण: भूस्वामी कृषक - 'राजकोरकू', अन्य - 'पोथरिया कोरकू'।


5. धर्म: हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा, दीपावली, दशहरा, होली उत्सव मनाते हैं।


6. रीति-रिवाज: वधू धन प्रथा, तलाक और विधवा विवाह प्रचलित।



6. बैगा जनजाति


1. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, मुंगेली, सरगुजा, सूरजपुर, और बिलासपुर जिलों में निवास।


2. अर्थ: 'बैगा' का अर्थ 'पुरोहित', इन्हें 'पंडा' भी कहते हैं।


3. विशेषता: 'नागा देगा' को पूर्वज मानते हैं, ग्राम पुरोहित और चिकित्सक।


4. समुदाय: द्रविड़ समुदाय की आदिम जनजाति।


5. पेशा: पहले स्थानांतरित खेती, अब स्थायी कृषि; वनोपज पर निर्भर।


6. संस्कृति: सरल भौतिक संस्कृति में जीवन यापन।



7. बिंझवार जनजाति


1. नामकरण: विन्ध्याचल पर्वत के मूल निवासी, इसलिए 'बिंझवार' नाम पड़ा ।


2. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, बलौदा बाजार, और रायपुर जिलों में निवास।


3. वर्गीकरण: रायपुर संभाग की विशेष पिछड़ी जनजाति।


4. पेशा: मुख्य रूप से कृषि।


5. धर्म: विन्ध्याचल वासिनी देवी की पूजा।


6. भाषा: मातृभाषा छत्तीसगढ़ी।


7. पूर्वज: 'बारह भाई बेटकर' को पूर्वज मानते हैं।


8. प्रसिद्ध व्यक्ति: महान क्रांतिकारी वीर नारायण सिंह इस जनजाति से।



8. कमार जनजाति


1. क्षेत्र: रायपुर, गरियाबंद, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा, जशपुर, कोरिया, और सरगुजा के वन क्षेत्रों में निवास।


2. वंश: गोंडों के वंशज मानते हैं।


3. निवास: वनों और नदियों के किनारे, झोपड़ीनुमा घर बनाते हैं।


4. वेशभूषा: पुरुष कम वस्त्र, स्त्रियां धोती पहनती हैं।


5. भोजन: चावल, दाल, भाजी, निरामिष भोजन; मदिरा सेवन प्रचलित।


6. धर्म: दुल्हा देव की पूजा, जादू-टोनों और औजारों की पूजा में विश्वास।


7. पेशा: कृषि मजदूरी, शिकार, वनोपज संग्रह, लकड़ी-बांस की वस्तुएं बनाना, बाजारों में बिक्री, हाल में कारखानों में काम।


8. विशेषता: शिकार और हस्तशिल्प में निपुण, भूमि का अभाव।



9. कंवर जनजाति


1. नाम: कंवर या कनवार।


2. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, और सरगुजा जिलों में निवास।


3. उत्पत्ति: महाभारत के कौरवों से जोड़ते हैं।


4. भाषा: मातृभाषा छत्तीसगढ़ी।


5. विशेषता: अन्य जनजातियों की तुलना में अधिक शिक्षित और विकसित।


6. पेशा: कृषक और कृषक मजदूर।


7. धर्म: सगराखंड मुख्य देवता; मांस और शराब वर्जित।


8. रीति-रिवाज: संगोत्री और विधवा विवाह वर्जित; पंचायत झगड़ों का निपटारा और दंड देती है।


9. स्वच्छता: स्वच्छता प्रिय, घर और स्वयं को साफ रखते हैं।



10. खैरवार जनजाति


1. नाम: खैरवार या कथवार।


2. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, और पलामू जिलों में निवास।


3. नामकरण: कत्था व्यवसाय के कारण 'खैरवार' नाम।


4. भाषा: छत्तीसगढ़ी।


5. साक्षरता: बहुत कम।



11. खड़िया जनजाति


1. क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और जशपुर जिलों में निवास।


2. नामकरण: खडखडिया (पालकी) दोने के कारण 'खड़िया' नाम।


3. भाषा: मातृभाषा खड़िया (मुंडा परिवार), सदरी का भी उपयोग।


4. उत्सव: पुस-पुन्नी और करमा जैसे स्थानीय उत्सव मनाते हैं।


5. साक्षरता: बहुत कम।



12. भैना जनजाति


1. वर्गीकरण: आदिम जनजाति।


2. क्षेत्र: बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, रायपुर, और बस्तर जिलों के सतपुड़ा पर्वतमाला और छोटानागपुर पठार के सघन वन क्षेत्रों में निवास।


3. उत्पत्ति: बैगा और कंवर की वर्ण संकर संतान मानी जाती है।


4. भाषा: छत्तीसगढ़ी




13. बिरहोड़

1. अर्थ: वनेचर या वन्य जाति।


2. निवास: मुख्य रूप से रायगढ़ और जशपुर जिले।


3. भाषा: अब छत्तीसगढ़ी बोलते हैं, पुरानी मुंडा भाषा भूल गए हैं।



14. भुजिया


1. निवास: रायपुर जिले तक सीमित।


2. मातृभाषा: 'भुजिया', जो हल्बी के निकट है।

3. विशेष: गोंड जनजाति से घिरे होने पर भी गोंडी नहीं बोलते।


15. अगारिया

1. उत्पत्ति: 'अग्नि' से।

2. कार्य: लौह अयस्क पिघलाने का कार्य करते हैं, स्वयं को लोहार कहते हैं।

3. निवास: मुख्य रूप से बिलासपुर जिला।

4. भाषा: छत्तीसगढ़ी।



16. आसुर

1. निवास: रायगढ़ और जशपुर जिले तक सीमित।


2. भाषा: मुंडा परिवार की 'असुरी' भाषा।

3. विशेष: एक अविकसित जनजाति, अधिकांश गाँव पहाड़ों पर।


17. बिरजिया

1. अर्थ: जंगल की मछली।

2. मूल निवास: सरगुजा जिला।

3. भाषा: मुंडा परिवार की 'बिरजिया' के साथ 'सदरी' का भी प्रयोग।

4. पर्व: सरहुल, करमा, फगुआ, रामनवमी आदि।


18. धनवार

1. उत्पत्ति: 'धनुष' से, अर्थ- धनुर्धारी।

2. संबंध: गोंड या कंवर की एक शाखा।

3. निवास: बिलासपुर, रायगढ़ तथा सरगुजा जिला।

4. भाषा: छत्तीसगढ़ी।

5. विशेष: धनुष-बाण का प्रयोग और पूजा, विवाह में वर के साथ धनुष-बाण।


19. घुरवा

1. निवास: सुकमा और बस्तर जिले तक सीमित।

2. पूर्व नाम: पहले 'परजा' कहते थे।

3. मातृभाषा: 'परजी' (द्रविड़ भाषा परिवार से)।

4. द्वितीय भाषा: हल्बी।


20. गदवा

1. निवास: मुख्य रूप से बस्तर जिला।

2. भाषा: पहले मुंडा परिवार की 'गदवा', अब हल्बी ही इनकी मातृभाषा है।





छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ और उनकी अर्थव्यवस्था - Chhattisgah ke Pramukh Janjatiyan aur Unake Arthavyavastha को याद करने के टिप्स:


1. जनजाति-वार नोट्स बनाएं:

 प्रत्येक जनजाति के लिए अलग-अलग सेक्शन बनाएं और उनमें उनकी मुख्य विशेषताओं, जैसे:

  • निवास स्थान: मुख्य रूप से कहाँ पाई जाती है?
  • मुख्य व्यवसाय: कृषि, वन उत्पाद संग्रह, शिकार, हस्तशिल्प आदि।
  • विशिष्ट कला/शिल्प: यदि कोई विशेष कला या शिल्प है।
  • महत्वपूर्ण पर्व/त्यौहार: यदि कोई विशेष त्यौहार है।
  • भाषा/बोली: यदि कोई विशिष्ट बोली है।

2. मानचित्र का उपयोग करें:

छत्तीसगढ़ के मानचित्र पर जनजातियों के वितरण को चिह्नित करें। यह आपको उनकी भौगोलिक स्थिति को समझने में मदद करेगा।

3. तुलनात्मक अध्ययन करें:

विभिन्न जनजातियों की समानताओं और असमानताओं को पहचानें। उदाहरण के लिए, कौन सी जनजातियाँ स्थानांतरित कृषि करती हैं या कौन सी जनजातियाँ विशेष पेय पदार्थ बनाती हैं।


4. निमोक्स (Mnemonics) बनाएं:

कुछ कठिन नामों या तथ्यों को याद रखने के लिए छोटे-छोटे निमोक्स बना सकते हैं।


5. बार-बार दोहराएं (Revision):

जो भी पढ़ें, उसे नियमित अंतराल पर दोहराते रहें।


6. क्विज़ और मॉक टेस्ट दें:

अपनी तैयारी का आकलन करने के लिए ऑनलाइन क्विज़ या मॉक टेस्ट दें।


7. फ्लोचार्ट और डायग्राम का प्रयोग करें:

जानकारी को व्यवस्थित करने के लिए फ्लोचार्ट और डायग्राम बहुत उपयोगी होते हैं।


8. समूह चर्चा:

दोस्तों के साथ इस विषय पर चर्चा करें। यह आपको चीजों को बेहतर ढंग से याद रखने में मदद करेगा।




FAQ : अक्सर पूछे जाने वाले सवाल - जवाब

छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ और उनकी अर्थव्यवस्था - Chhattisgarh ke Pramukh Janjatiyan aur Unake Arthavyavastha

1. छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जनजाति कौन सी है?

A. छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जनजाति गोंड जनजाति है।


2. कोरवा जनजाति छत्तीसगढ़ के किस क्षेत्र में पाई जाती है?

A. कोरवा जनजाति मुख्यतः छत्तीसगढ़ के सरगुजा और जशपुर क्षेत्र में पाई जाती है।



3. बैगा जनजाति का मुख्य व्यवसाय क्या है?

A. बैगा जनजाति मुख्य रूप से स्थानांतरित कृषि (बेवार या दहिया कृषि) और वनोत्पाद संग्रह पर निर्भर करती है।


4. हल्बा जनजाति की क्या विशेषता है?


A. हल्बा जनजाति को कृषि और बुनकर कला में निपुण माना जाता है। वे स्वयं को राजपूतों से संबंधित मानते हैं।


5. कमार जनजाति का मुख्य निवास स्थान कहाँ है?


A. कमार जनजाति मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के गरियाबंद, धमतरी और महासमुंद जिलों में पाई जाती है।


6. बिंझवार जनजाति का क्या महत्व है?

A. बिंझवार जनजाति खुद को बिंध्यवासिनी देवी का वंशज मानती है और वे तीरंदाजी में निपुण होते हैं।


7. खैरवार जनजाति किस लिए प्रसिद्ध है?


A. खैरवार जनजाति मुख्य रूप से खैर वृक्ष से कत्था निकालने का कार्य करती है।



निष्कर्ष (Conclusion):


हमें उम्मीद है कि इस विस्तृत ब्लॉग पोस्ट ने आपको छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियों और उनकी अर्थव्यवस्था के बारे में एक गहरी समझ दी होगी। याद रखें, यह सिर्फ परीक्षा के लिए एक विषय नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


इन जनजातियों के जीवन-शैली को समझना हमें अपने समाज और देश के प्रति और भी संवेदनशील बनाता है। अपनी तैयारी जारी रखें, क्योंकि प्रत्येक जानकारी आपको अपनी मंजिल के करीब लाती है। आप सफल होंगे! जय छत्तीसगढ़!


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